नवग्रहों के लिए वैदिक मंत्र करें या तंत्रोत ये अक्सर हमारे दिमाग में आता हैं और मुझसे पूछा जाता हैं , में खुद भी जब हर जगह देखता हूँ तो मुझे यू ट्यूब ये कमेन्ट हर जगह मिलता हैं , तो अपने आज के इस ब्लॉग में आपको में बताऊँगा की कौन सा मंत्र करना चाहिए और इनकी जाप संख्या क्या हैं और किन मंत्रों को करें अर्थात क्या हमे सभी नवग्रहों के मंत्र करना चाहिए । याद रहे यहाँ पे मेरा तात्पर्य वैदिक मतलब साधारण मूल मंत्र हैं और तंत्रोत मतलब बीज मंत्र से हैं ।
वैदिक मंत्र या तंत्रोत मंत्र :
अगर आजके समय की बात करे तो तुरंत रिजल्ट देने वाले तंत्रोत मंत्र हैं परंतु ये तब तक असर करेंगे जब तक आप इन्हे जपेंगे , जैसे ही आपने इन्हे बंद किया ये अपना असर दिखाना भी बंद कर देते हैं। लेकिन वैदिक मंत्र अगर आपने इनकी जप संख्या के अनुसार एक् बार सिद्ध कर लिया तो परिणाम जीवनभर देंगे । यानि एक् बार बैटरी चार्ज और फिर गाड़ी चलती जाएगी बिना रुके , तो चुनाव आपको अपनी तकलीफ के हिसाब से करना हैं।

क्या सारे नवग्रहों का जाप करें
अब जब आप ये जान चुके हो की कौन सा मंत्र जपना हैं तो दिमाग में ये भी आएगा की क्या सभी कर लूँ यानि 9 के 9 ग्रहों के मंत्र , इस पर कोई बोलता है की कर लो क्युकी अगर हम सबके करेंगे तो सभी को नमन कर रहे है , और जब हम किसी को नमन करते हैं तो वो कभी बुरे परिणाम नहीं देते हैं, लेकिन कुछ लोग कहते हैं की अगर खराब ग्रहों के मंत्र जपे तो उन्हे शक्ति मिल जाती हैं और वो फिर और परेशान करते हैं। अब इतनी दुविधा में निर्णय लेना कठिन हैं , तो इसे मेरे हिसाब से करते हैं, देखिए हर किसी की कुंडली में बहुत से ग्रह खराब होते हैं और किसी की कुंडली में तो पूरे ही ग्रह खराब मिलते हैं तो उसका ऐसा सोचना सही भी हैं , लेकिन कुंडली में इतने ग्रहों को जपने के लिए बहुत समय जाएगा तो क्यू ना ऐसा काम करें जिससे काम भी हो जाए और समय भी ना खराब हो। इसके लिए आपको सिर्फ 4 ग्रहों के मंत्र जपना चाहिए । 1. लग्न के स्वामी का मंत्र 2. पंचम भाव यानि आपके इष्ट का मंत्र 3. महादशा के स्वामी का मंत्र 4. अंतर दशा के स्वामी का मंत्र ।
ऊपर दिए हुऐ 4 मंत्रों को जपने से क्या होगा ?
- लग्न के मंत्र जपने से आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और आत्मा भी अगर ये सही तब ही आप सारे काम आगे कर पाएंगे ।
- इष्ट के मंत्र जपने से आपको सही मार्ग दर्शन मिलेगा और भाग्य का साथ भी मिलेगा जब उसकी आपको सही में जरूरत होगी ।
- महादशा के स्वामी का आपकी जिंदगी पे 80 % कंट्रोल होता हैं इसलिए इनका जाप जरूर करें क्युकी ये आपकी जिंदगी के ड्राइवर हैं।
- अंतर दशा के स्वामी का जिंदगी पे 20 % कंट्रोल होता हैं और ये आपकी जिंदगी के कन्डक्टर हैं बिना इसके ड्राइवर आपकी जिंदगी रूपी ट्रेन को बस भगाता रहेगा परंतु कही रोकेगा नहीं , सही समय पे सही निर्णय लेना और जिंदगी पे किस समय रूकना हैं यहि ग्रह सिखाता हैं।

ग्रहों के कितना मंत्र जपे की फायदा हो
अब जब आप मेरे इस ब्लॉग की जानकारी लेते लेते यहाँ तक पहुँच गए हो तो मेरा मानना हैं की आपको इस विषय से संबंधित 50 % ज्ञान तो हो ही चुका हैं। अब ये जान लेते हैं की कितना जाप करें और कब तक करें , हर मंत्र का जाप उसकी शास्त्रों में निहित गिनती के हिसाब से करें , साथ ही टोटल संख्या के 4 गुना जाप कलयुग में कहे गए हैं।
वैदिक मंत्र की जप संख्या
ग्रह | वैदिक मंत्र | वैदिक मंत्रजप संख्या |
सूर्य | ऊँ सूर्याय नम: अथवा ऊँ घृणि सूर्याय नम: | 7,000 |
चंद्रमा | ऊँ चं चंद्राय नम: अथवा ऊँ सों सोमाय नम: | 11,000 |
मंगल | ऊँ भु भौमाय नम: अथवा ऊँ अं अंगारकाय नम: | 10,000 |
बुध | ऊँ बुं बुधाय नम: | 9,000 |
गुरु | ऊँ बृं बृहस्पतये नम: | 19,000 |
शुक्र | ऊँ शुं शुक्राय नम: | 16,000 |
शनि | ऊँ शं शनैश्चराय नम: | 23,000 |
राहु | ऊँ रां राहवे नम: | 18,000 |
केतु | ऊं कें केतवे नम: | 17,000 |
ऊपर दिए गए मंत्रों को 4 गुना जाप करें और 41 दिनों के अंदर । इस प्रकार के मंत्र जपने के लिए कोई गुरु दीक्षा की जरूरत नहीं होती हैं , साथ ही हर ग्रह का जाप उसके दिन से ही करें, राहू और केतु का कोई भी दिन नहीं होता हैं इसलिए राहू के जाप शनिवार से और केतु के मंगलवार से करें। क्युकी कुंडली में राहू तक्लीफ़ शनि जैसी और केतु मंगल जैसी देता हैं। साथ ही शनि राहू और केतु के जाप शाम को और बाकी बचे ग्रहों के सुबह करना चाहिए । शनि के जाप पश्चिम दिशा की और मुंह करके करें और राहु और केतु के दक्षिण और पश्चिम

तंत्रोत यानि बीज मंत्रों की जप संख्या
सूर्य तंत्रोत बीज मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
चंद्र तंत्रोत बीज मंत्र- ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः।
मंगल तंत्रोत बीज मंत्र- ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
बुध तंत्रोत बीज मंत्र- ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
गुरु तंत्रोत बीज मंत्र- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
शुक्र तंत्रोत बीज मंत्र- ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।
शनि तंत्रोत बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
राहु तंत्रोत बीज मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
केतु तंत्रोत बीज मंत्र- ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।
बीज मंत्रों का जाप बहुत सोच समझकर ही करें में बीज मंत्रों का चुनाव करने को नहीं कहता क्युकी ये पहले से चार्ज होते हैं और अपने अंदर नेगटिव और पाज़िटिव दोनों एनर्जी लिए होते हैं । अगर आप साधना या जाप करते समय केवल पाज़िटिव रखते हैं तो सही है परंतु आज के समय में ये संभव नहीं हैः इसलिए में वैदिक मंत्र को जपने को कहूँगा बाकी हर कोई स्वतंत्र हैं । और वैसे भी बीज मंत्रों को बिना गुरु दीक्षा के नहीं जपना चाहिए ।

लेखक
ललित सिंह
संस्थापक
काली तत्त्व ज्ञान
Pranam. Bahut hi lavkari
Gurudev mera rashi 5. Hai mai konse grah ka jaap kru btaiye guru ji mere pass guru diksha bhi hai guruji parntu mere pass mala ni h to kaise jaap kru please btaiye or kiska jaap kru please help