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तंत्र शास्त्र में टोने टोटके बहुत प्रसिद्ध हैं , क्युकी ये छोटे होते हैं कम समय लेते है और तंत्र में फल भी शीघ्र देते हैं।चलिए आज इस ब्लॉग के माध्यम से इनका कार्य करने का स्वरूप समझते हैं। और एंक बचाव का उपाय भी जानते हैं।

क्या हैं टोने टोटके

जब भी आपको समस्या आई आप किसी के पास गए और वहाँ पर किसी ने मंत्र पड़कर आपकी बाँहों और कलायी में गले में काला धागा बांध दिया और उसके बाद आप अच्छा महसूस करंने लगे और आपके काम धीरे धीरे बनने लगे । ऐसा ही कुछ आप को रेकी में और टैरो कार्ड , नूमरालजी में देखने को मिलेगा , जैसे किसी ने कोई नंबर लिखकर दिए किसी ने कुछ ऐल्फबेट लिख के दिए , और किसी ने तो कोई अजीब सी विधि ही लिख के दे डाली । लेकिन इन सब से एक् चीज तो ये हुई की आपके काम तो बनने लगे । आखिर क्या हैं इन टोने टोटकों का रहस्य ? बड़े बड़े लोगों से लेकर मैंने वैज्ञानिक को भी इनका पता लगाते देखा । और लोग भी इसके बारे में जानने को बेताब रहते हैं , जब नहीं जान पाए तो बेकार की चीज कहके मुंह मोड लिया , क्युकी ये शब्द आसान था ।

कैसे काम करते हैं टोने टोटके

आपने अपने बालों में कंघा किया बाल निकले और आपने ऐसे ही बाहर फेंक दिया , अब उन बालों के साथ किसी ने तंत्र क्रिया की जिसे हम काला जादू कहते हैं अब इसमें उस व्यक्ति की मानसिक शक्ति भी शामिल थी जो बुरी थी और इरादे भी बुरे थे अब जब ये आपके बाल जले तो उसमे से तरंग निकली जो वहा जाएगी जो उसका स्त्रोत होगा , अब ये स्त्रोत आपका शरीर था क्युकी बाल आपके शरीर के अंग थे । अब जब ये तरंग आपके शरीर से टकराएगी तो आपका पूरा ऊर्जा चक्र और औरा हिला के रख देगी , इससे आप अवसाद के शिकार , दुखी , पागल, बेचैन , मानसिक बीमार और शरीर से भी बीमार होने लगेंगे , आपके सारे बने बनाए काम बिगड़ने लगेंगे ।

इसलिए सावधान शरीर से उतरे हुए कपड़े, हाथ पैरों के नाखून , घर में हुआ कूड़ा कचरा , संभाल कर फेंके , ऐसी जगह ही फेंके जहां से ये निकाला न जा सके , महिलाओ के मासिक धर्म के पैड और कपड़े , शिशु के जनम के समय का कपड़ा , नाल, खून से लगा कपड़ा खासकर ऐसी जगह दबाए जहां से निकाला न जा सके क्युकी इसमे तंत्र बहुत खतरनाक होता हैं। आज के समय में कौन इतना ध्यान देता है लेकिन न ध्यान देने पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

टोने टोटके से बचाव के उपाय

टोने टोटके से बचाव के बहुत तरीके हैं इक उपाय तो मैंने ऊपर ही बताया हैं बाकी किसी योग्य गुरु से हवन करवा के भी अपना और अपने घर का वातावरण सही कर सकते हैं, इसके साथ ही अपने इष्ट देव के प्रति समर्पित रहे तो आप कम शिकार होंगे , और अगर आपके गुरु हैं तो फिर वही आपको इससे निकलने का रास्ता बता देंगे । जय गुरु देव

टोने टोटके कोई भी कर सकता हैं

टोने जिसे हम काला जादू भी कहते हैं और टोटके जो इसका बचाव हैं , परंतु टोटका कैसे और कितना काम करेगा ये टोने के शक्ति प्रयोग पे निर्भर हैं , अगर शक्तिशाली हुआ तो देर लगेगी या फिर दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा । इसको इस तरह से समझते हैं की तंत्र में सही लोग भी हैं और बुरे भी अब ये उसके स्वभाव पे निर्भर हैं की वो अपनी विध्या से शक्ति से क्या काम लेना चाहता हैं, और शक्ति उसके उस काम को करने को बाध्य हैं क्युकी वो शक्ति मंत्रों के अधीन हैं, भले ही बाद में शक्ति उसको दंड दे उसके कर्मों के आधार पे । जिनके गुरु नहीं हैं गुरु बनाए गुरु साक्षात महेश्वर यानि शिव भी हैं, क्योंकि वह शिष्य के सभी दोषों का संहार भी करते हैं और ज्ञान भी देते हैं । कबीरदास कहते हैं कि भगवान के रूठने पर गुरु की शरण में जा सकते है, लेकिन गुरु रूठ गए तो फिर कहीं भी शरण मिलना संभव नहीं क्युकी खुद भगवान से मिलने वाले भी गुरु होंगे । जिस व्यक्ति को सिद्ध सदगुरु मिल जाते हैं उसके जीवन में कभी कष्ट नहीं आते, और कष्ट आता भी है तो वह विचलित नहीं होता और आसानी से सामना कर लेता हैं । ये सब आपने सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग में खूब देखि और सुनी , लेकिन कलयुग में सब धन के पीछे भाग रहे और ईश्वर के भौतिक स्वरूप के दर्शन चाहते हैं , जबकि अभी उन्होंने पहला चरण यानि गुरु के महत्त्व को ही नहीं समझा गुरु मिलना तो दूर की बात हैं । ईश्वर प्राप्ति, मोक्ष प्राप्ति, काला जादू से बचाव , सिद्धि , आध्यात्मिक ज्ञान , धन प्राप्ति का उपाय केवल वो सदगुरु ही हैं

ध्यान रहे

श्लोक 1. गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ अर्थ- गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु ही शंकर है और गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है। इसलिए गुरु से बड़ा कुछ नहीं

  • एकमप्यक्षरं यस्तु गुरुः शिष्ये निवेदयेत्  पृथिव्यां नास्ति तद् द्रव्यं यद्दत्वा ह्यनृणी भवेत् 
    अर्थ : गुरु शिष्य को जो एखाद अक्षर भी कहे, तो उसके बदले में पृथ्वी का ऐसा कोई धन नहीं, जो देकर गुरु के ऋण में से आप मुक्त हो सकें.
  • दुग्धेन धेनुः कुसुमेन वल्ली शीलेन भार्या कमलेन तोयम्  गुरुं विना भाति  चैव शिष्यः शमेन विद्या नगरी जनेन 
    अर्थ :जैसे दूध बगैर गाय, फूल बगैर लता, शील बगैर भार्या, कमल बगैर जल, शम बगैर विद्या, और लोग बगैर नगर शोभा नहीं देते, वैसे हि गुरु बिना शिष्य कभी शोभा नहीं देता.
  • पूर्णे तटाके तृषितः सदैव भूतेऽपि गेहे क्षुधितः  मूढः  कल्पद्रुमे सत्यपि वै दरिद्रः गुर्वादियोगेऽपि हि यः प्रमादी 
  • अर्थ :जो इन्सान गुरु मिलने के बावजूद प्रमादी ( पागल) रहे, वह मूर्ख पानी से भरे हुए सरोवर के पास होते हुए भी प्यासा, घर में अनाज होते हुए भी भूखा, और कल्पवृक्ष के पास रहते हुए भी दरिद्र ही है.

लेखक

ललित सिंह

संस्थापक

काली तत्त्व ज्ञान

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