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कैसे पहचाने अपने एक् isht dev को 33 कोटी में से , देखिए जैसा की सब्जेक्ट हैं तो ये आपको बताना चाहता हूँ की 33 कोटी का मतलब यहाँ पे प्रकार हैं यानि 33 प्रकार के देवी देवता और उनके क्यी प्रकार के भेद और भी हैं , isht dev वो होते हैं जिन्हे हम चाहते हैं और वो हमारी पुकार सुनते हैं जब भी हमे जरूरत होती हैं , इष्ट देव एक् ही होते हैं और बार बार नहीं बदलते हैं । ध्यान रहे कुल देवी और कुल देवता इष्ट देव नहीं होते हैं क्युकी कुल देव और कुल देवी वो होती है जिसे हमारे पूर्वज और माता पिता पूजते हैं और इष्ट को स्वयं हम। कुल देवी और देवता के बारे में विस्तार से किसी दूसरे ब्लॉग में बताऊँगा ।

इष्ट देव का चुनाव

इष्ट देव को हम 3 तरीके से जान सकते हैं और अपना सकते हैं ।

  1. जो आपको दिल से पसंद हो और लगे की ये मेरी आवाज हमेशा सुनते हैं ।
  2. आपके कुंडली के 1 भाव में बैठे ग्रह को परंतु वो घर खाली होने पे उसके स्वामी को
  3. कुंडली के 5 भाव में बैठे ग्रह को परंतु खाली होने पे उस घर के मालिक को ।

यहाँ पर एक् चीज जरूरी हैं की उस भाव पे बैठे हुए ग्रह का अधिकार उस भाव के स्वामी से ज्यादा होगा तो उसे ही अपना इष्ट देव माने । और साथ ही अगर दोनों घर पे एक् से ज्यादा ग्रह हो तो अपने लग्न के स्वामी के मित्र ग्रह के देवता को ही पूजे ।

एक् सवाल हमेशा निकल के आता है की अगर कुंडली ही न हो तो । इस सवाल का जवाब मैंने ऊपर पहली लाइन पे दिया हैं , जो आपका दिल चुनाव करे उसका जाप करे और पूजा भी परंतु उसे बार बार बदले नहीं ।

इष्ट देव की पूजा करने से क्या होता हैं

इष्ट देव या देवी की पूजा करने से व्यक्ति को सही ऊर्जा मिलती हैं जिससे उसका जीवन अच्छे से निकलता हैं और वो हमेशा खुश रहता हैं इसके साथ ही समाज का भी भला करता हैं। हर इंसान को ज्ञान कर्म और भक्ति के मार्ग पे चलना चाहिए , और इष्ट की भक्ति करनी चाहिए , जब कोई इंसान अपनी जिंदगी से पूरी तरह हार चुका हो तो उसे अपना सबकुछ त्याग कर खासकर घमंड को अपने इष्ट को समर्पित कर देना चाहिए वो उसका उद्धार जरूर करेंगे , जैसे श्री कृष्ण अर्जुन को बहुत समझाते हैं लेकिन बाद में कहते हैं की हैं पार्थ तुम सब बातों को छोड़कर मेरी शरण में आ जाओ। जो भी इंसान इष्ट की शरण में आ जाता हैं उसे फिर किसी बात की शंका नहीं रहती।

इष्ट देव एक् ही क्यूँ चुने ?

इस बात का जवाब आपके ही तरीके से समझाता हूँ , जब आपको जेब खर्च के लिए पैसे चाहिए होंगे तो आप सबसे पहले अपने माता पिता की शरण में जाएंगे, क्युकी आपको पता हैं की यहाँ पे हमारी बात सुन ली जाएगी ,अब अगर यही पुकार किसी पड़ोसी से या अपने कोई दूसरे रिस्तेदार से करें या फिर सड़क पे चलते लोगों से तो इसका जवाब आपको पता हैं। इसलिए अपनी पुकार एक् ही शक्ति से करे , इससे आपका प्यार और विस्वास उस शक्ति पे मजबूत दिखता हैं। लेकिन बहुत से लोग आज भटक गए हैं इसका कारण भी यू ट्यूब दिखाए जाने वाले विडिओ ही हैं , क्युकी किसी ने किसी के बारे में कहा वो उसकी पूजा करने लगे , किसी ने अबकी बार किसी के बारे में अच्छे से बड़ा चड़ा कर बोला आप फिर से भ्रमित हो गए और लगे उनकी पूजा करने , याद रहे जब भी हम किसी की साधना किसी मनोकामना के लिए करते हैं तो ईश्वर चेंज हो सकता हैं लेकिन ऐसा पूजा में बिल्कुल नहीं होता , और साधना और पूजा में अंतर हैं , साधना में पहले हम अपने इष्ट देव , अपने गुरु देव , अपने कुल देव और देवी, अपने पित्र देव , स्थान देव, अग्नि देव, प्रथम पूजनीय और माता पिता को नमन करके आगे बड़ते हैं । इसके विपरीत हम पूजा में हर रोज अपने इष्ट को ही जपते हैं ।

बार बार इष्ट देव बदलने पे आपको कोई इष्ट यानि ईश्वर नहीं मिलता हैं , क्युकी एक् की भक्ति से सब कुछ मिलता हैं और 10 की भक्ति से ज़ीरो

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाए”

जय माँ बगलामुखी

लेखक

ललित सिंह

संस्थापक

काली तत्त्व ज्ञान

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