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सभी सनातनी लोगों को जय श्री राम

अपने आज के इस ब्लॉग को मेरा लिखने का उद्देश्य गुरु दीक्षा आपके ही प्रश्न का उत्तर हैं, जैसा की मैंने कहा था की में आपको दीक्षा दूंगा , मेरा इस ब्लॉग को लिखने का तात्पर्य यही हैं की कैसे आप मुझसे दीक्षा लेंगे और क्या फीस होगी , पर सबसे महत्त्व पूर्ण बात यही हैं की दीक्षा होती क्या है और ये क्यूँ महत्व पूर्ण है, इसको लेने से आपको क्या फायदा होगा, क्युकी आज के समय में इंसान एक् रुपये न खर्च करें , लेकिन फायदे के लिए वो खर्च कर देगा , बाकी अपने लिए अपने ऐशों आराम के लिए इंसान लाखों रुपये फुँक देगा लेकिन प्रभु के लिए नहीं ,

यही इस कलयुग का दुर्भाग्य है और इस ब्लॉग को लिखने का तात्पर्य भी, जब तक आप इस बात को नहीं जान लेते आप मुझे दीक्षा के लिए कभी दान नहीं देंगे, एक् schha गुरु दीक्षा के रुपयों को कभी पूरे अपने पास नहीं रख सकता , उसे इसका केवल 20 % खर्च करने की शास्त्र में अनुमति है,

बाकी के दीक्षा के पैसे को उसे समाज के लिए, प्रभु के लिए , गरीबों के लिए और दान में लगाना होगा, जिस प्रकार से इंसान यानि साधक जो साधना में तो आना चाहता हैं लेकिन गुरु दीक्षा नहीं देना चाहता वो इंसान पाप का भागी हैं उसी प्रकार से वो गुरु भी जो अपने ऊपर अपने भले के लिए पूरे धन को अपने ऊपर खर्च कर दें । दीक्षा शब्द के लिए धन का चयन कितना होगा ये उस गुरु के ऊपर है लेकिन धन इतना ही हो जितना समाज दे सके।

गुरु दीक्षा

दीक्षा का महत्त्व और तत्त्व

जिस प्रकार से माली बगिया को सींचता हैं उसी प्रकार से गुरु एक् शिष्य को अध्यात्म का सच्चा रास्ता इसी गुरु दीक्षा के रूप में दिखाता हैं , जब इस धरती पे इंसान की उत्पत्ति होती हैं तो उसके तीन प्रत्यक्ष देव होते हैं :- 1) माता 2 ) पिता 3 ) गुरु । इन्ही तीनों को ब्रह्म विष्णु और महेश की उपाधि शास्त्रों में दी गई हैं, हमारी माता के द्वारा हमारा जनम होता हैं इसलिए वह ब्रह्म स्वरूप होती हैं ,पिता के द्वारा हमारा पालन होता हैं इसलिए इन्हे श्री विष्णु का स्वरूप माना गया हैं, लेकिन इनमे गुरु की महिमा बड़ी है क्युकी योग्य गुरु के द्वारा ही बुरे संस्कारों का संहार किया जाता है,

इसलिए वो शिव के समान हैं, जिस गुरु के कारण ईश्वर के पूजन का अधिकार प्राप्त होता है

प्रत्यक्ष रूप में उस गुरु से कोई भी चीज जैसे विध्या , तीर्थ, देवता उस गुरु के समान नहि हो सकते हैं, इस सांसरिक जीवन में गुरु से बड़कर कुछ नहीं , एक् सही मार्ग दर्शन के लिए आपको एक् प्रत्यक्ष गुरु की आवश्यकता पड़ेगी , आप शिव जी को गुरु मानकर साधना कर तो लोगे लेकिन उस साधना से आपकों कुछ खास फल की प्राप्ति नहीं होगी, क्युकी एक् समय ऐसा आएगा जब आपको कुछ समझ ही नहीं आएगा की आगे क्या करना हैं और कैसे करना हैं ।

दीक्षा के बिना मनुष्य को न तो सिद्धि मिलती है न ही सद गति । मोक्ष प्राप्ति के लिए ब्रह्म विधीय औरे ब्रह्म ज्ञान की आवश्यकता पड़ती हैं , दीक्षा ही एक् मात्र वह तत्त्व है जो इंसान के समस्त बुरे कर्मों और पापों का नाश करके ईश्वरी और दिव्य भाव का विकाश करता हैं दीक्षा कोई जादू टोना नहीं है , नाही दीक्षा सिर्फ लेने मात्र से आपको वो गुरु सिद्धि दे देगा , क्यी लोग दीक्षा का मतलब सिद्धि देने से जोड़ लेते हैं, वो सोचते है उनके चंद रुपये उस गुरु को खरीद लेंगे और सिद्धि मिल जाएगी, आपके चंद रुपये से उस गुरु को पाने का आजीवन का अधिकार आपको नहीं हुआ , आप उस गुरु के ज्ञान को पाएंगे , सिद्धि इंसान को स्वयं लेनी होती हैं, दीक्षा से भगवान का संपर्क जल्दी जुड़ता हैं क्युकी गुरु को ये दर्जा प्राप्त हैं और मंत्र भी पहले से क्यी बार जपे हुए होते हैं । इसलिए सफलता जल्दी मिलती हैं , बिल्कुल जैसे एक् नए और पुराने खिलाड़ी के रूप में ।

गुरु दीक्षा

अलग अलग साधना के लिए होती है अलग अलग दीक्षा

दीक्षा शब्द का अर्थ एक् पूल का है जो आपके और आपके प्रभु के बीच में है , जब आप दीक्षा ले लेते है तो यह पूल आपको ईश्वर से मिलाने का कार्य करता हैँ , लेकिन जब आप ये मनोकामना रखते है की आपको सिद्धि मिले या फिर किसी विशेष कार्य के उदेश्य के लिए आप दीक्षा लेना चाहते हो या फिर आपको किसी विशेष शक्ति को प्राप्त करना है तब दीक्षा अलग अलग प्रकार की होती हैं , हर सिद्धि के लिए अलग तैयारी और दीक्षा ।

केवल प्रभु की भक्ति के लिए आपको दीक्षा की भी जरूरत नहीं हैं क्युकी उसके लिए नाम जाप सर्वोपरि हैं, लेकिन जहां पे मनोकामना शब्द आएगा वही पे दीक्षा भी बदल जाएगी, एक् गुरु जिस तरह से आपको आपके विद्यालय में हर विषय नहीं तैयार करवाता , और न ही आप एक् स्कूल में ही हर चीज पड़ते रहते हैं , उसी प्रकार से दीक्षा भी हैं, दीक्षा का मतलब केवल गुरु का अधिकार है जो उस गुरु को उस ईश्वर ने दिया हैं,

ताकि आप दीक्षा लेने के बाद उस ईश्वर से मिलने के पात्र हो जाओं, मुझे दीक्षा के रुपये पैसे से कोई मोह नहीं हैं क्युकी इसके बारे में पूर्ण विडिओ में नीचे दे रहा हूँ

गुरु दीक्षा

अभी वो समय नहीं आया है की में लोगों को दीक्षा दूँ , अगर बात पैसे की होती तो में भी दीक्षा दे रहा होता, जब सही समय आएगा तो आपको दीक्षा का पेज आनलाइन इसी वेबसाईट पे मिल जाएगा

अभी के लिए मुझे माफ करे ,खुश रहे स्वस्थ रहे , आपकी सभी मनोकामना पूरी हो

नमो नारायण

जय महाकाल

जय माँ बगलामुखी

ललित सिंह

संस्थापक

काली तत्त्व ज्ञान

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