प्यारे दोस्तों आज का विषय है की दक्षिणावर्ती शंख की पहचान क्या है? दक्षिणावर्ती शंख क्या काम आता है?। हर मंदिर में आपने शंख बजते देखा होगा , और इसकी ध्वनि से रोम रोम हिल जाता हैं, पर आपको पता है की शंख दो प्रकार के होते हैं, 1. वामवर्ती शंख 2 . दक्षिणावर्ती शंख, दक्षिणावर्ती शंख बहुत ही भाग्य से मिलता हैं, और जिसके भी घर में ये शंख बजता है , वहाँ स्थिर लक्ष्मी निवास करती हैं, शास्त्रों के अनुसार शंख के बजने से नेत्र विकार नहीं होता साथ ही साथ आस पास भी वातावरण में बहुत से जीवाणु मर जाते हैं। साथ ही दक्षिणावर्ती शंख के घर में होने से घर में सिर्फ मंगल कार्य ही होते हैं । शंख को पूजा घर में स्थापित करने के लिए सबसे पहले नहाके शंख को दूध, दही, शहद, घी, और शुद्ध जल में स्नान कराए फिर चंदन,पुष्प , धूप , आदि से पूजा करके स्थापना करना चाहिए।

यह शंख सभी प्रकार के सुख देने में समर्थ हैं क्युकी इस शंख में श्री हरी नारायण निवास करते हैं। जो लोग कारोबार करते हैं उनके लिए भी सर्वोत्तम है , इसे हमेशा पूर्व की और मुख करके ही रखें । श्री हरी नारायण के हाथों में शंख रहता है और ये शंख श्री हरी विष्णु के 4 आयुधों में से एक् हैं, जिस घर में इस शंख की चंदन और धूप बत्ती से पूजा होती हैं वो इंसान स्वयं कृष्ण और उसका घर वैकुंठ बन जाता हैं। ऐसा संभव हो ही नहीं सकता की किसी ने इसे घर में स्थापित किया हो और उसे इसका कोई लाभ ना मिला हो क्युकी ये शंख रोग को दूर करने वाला दुश्मनों को कमजोर करने वाला , लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला और परिवार के सभी लोगों की आयु को बड़ाने वाला हैं।

यह शंख चंद्र और सूर्य देवो के समान तेज स्वरूप वाला हैं। इसके बीच में वायु देव , आगे के भाग में माँ गंगा और आखिरी में ब्रह्म का स्थान हैं। इस एक् शंख में सारे तीर्थ श्री हरी विष्णु की कृपया से विराजमान हैं और शंख ही कुबेर के स्वरूप हैं इसलिए इसमे स्वयं माँ लक्ष्मी निवास करती हैं। इसके मात्र दर्शन से ही आपके सारे दोष ऐसे नष्ट हो जाते हैं जैसे कभी थे ही नहीं ।
दक्षिणावर्ती शंख ही क्यू रखें
इस शंख को रखने के सबसे बड़ा कारण है धन जिसके पीछे हर इंसान दौड़ लगा रहा हैं और जिनके पास नहीं हैं वो हर संभव कोशिश कर रहें हैं । चूंकि ये धन को अपनी तरफ खींचने में समर्थ हैं क्युकी ये स्वयं नारायण है और जहां नारायण है वहाँ लक्ष्मी को तो आना ही पड़ेगा। इसके प्रभाव से ऋण , गरीबी, धन की कमी कोसों दूर भाग जाती हैं । यह जीवन में ऐसे आश्चर्य जनक परिणाम देने में समर्थ हैं जो आपने सोचे भी नहीं होंगे । में तो सभी से ये कहूँगा की एक् बार इसे जरूर आजमा के देखे।

दक्षिणावर्ती शंख कैसे दिखता हैं।
इस शंख पे सुंदर सी धारियाँ होती हैं। इसका सफेद रंग होता हैं और ये वजन में भारी होता हैं साथ ही इसका मुख दक्षिण दिशा की और खुला रहता हैं, और इसी के कारण इसका नाम दक्षिणावर्ती हैं। इसे अगर सीधे लाकर पूजा करेंगे तो लाभ प्राप्त नहीं होगा क्युकी इसके कुछ मंत्रों से अभिमंत्रित करना पड़ता हैं, लक्ष्मी और कुबेर के मंत्रों से सिद्ध करके प्राण प्रतिस्थित करके पूजा करने से ये आपका और आपके परिवार का सारे दिशाओ से विकाश करता हैं।
- दक्षिणावर्ती शंख भगवान विष्णु के स्वरूप और अस्त्र होने के कारण इसे पूर्व जन्मों के पुण्यों के योग से ही प्राप्त कर सकते हैं, क्युकी ये अत्यधिक मंगल कारी और सर्व कल्याणकारी हैं ।
- ये शंख रखने वाले के पास धन धान्य की की कमी नहीं रहती हैं, और वो राज्य में राजा सी जिंदगी जीता हैं,
- इस शंख के नाद और तेज के कारण वहाँ किसी भी प्रकार की आसुरी शक्ति नहीं रह सकती हैं।
- इस शंख के प्रभाव से कोई भी बाधा आपको छु भी नहीं सकती ना ही कोई शत्रु आपका बाल भी बांका कर सकता हैं।
- इसकी पूजा करने वाले साधक के वहाँ ना तो कभी अग्नि का भय रहता हैं ना कभी लूट पाट चोरी का।

दक्षिणावर्ती शंख की पूजा में लगने वाली सामग्री
दक्षिणावर्ती शंख, अगरबत्ती , सुद्ध घी का दीपक , कुमकुम , केसर, चावल, जल पात्र, गाय का दूध , चांदी का पन्ना , इत्र , कपूर, भोग लगाने की मिठायी ।

दक्षिणावर्ती शंख की पूजा विधि
इसकी पूजा दिवाली से पहले धनतेरस के दिन करें , सुबह स्नान करके अच्छे साफ सुथरे कपड़े पहन के इक पात्र में इसे गाय के दूध से धोए फिर इसे साफ कपड़े से पोंछकर इसपे चांदी का वक्र लगाए, फिर घी का दीपक जलाए और अगरबत्ती भी जला दे, इसके बाद केसर या रोली से शंख पे श्रीं बीज मंत्र लिखे, अब इस शंख को चांदी के या फिर तांबे के पात्र में स्थापित करें। फिर इसके बाद कुमकुम , चावल, इत्र चड़ाए और दूध का प्रसाद भोग के रूप में अर्पित करें और सुगंधित पुष्प भी अर्पित करें।

जय माँ बगलामुखी
लेखक
ललित सिंह
संस्थापक
काली तत्त्व ज्ञान