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आज का विषय देवी देवता को कैसे खुश करे या उन सभी लोगों के लिए हैं जिन्हे साधना या तंत्र की गिनती नहीं आती , ऐसे लोग अगर मेरे इस ब्लॉग को सही से रीड कर लेंगे तो एक् सिद्ध साधक बन जाएंगे । लेकिन सबसे पहले एक् बात कहना चाहता हूँ उन सभी लोगों से जो बात बात पे बहस करते हैं कोई बात बताओ की ये इसका नियम हैं तो उन्हे नहीं मानना और अपनी ही जिद्द लगाना, ऐसे लोगों के तर्कों का में उत्तर नहीं देता हूँ , सीधा सा एक् ही अर्थ मुखों को ज्ञान देना बेकार हैं। एक् और विषय के बारे में यहाँ पे चर्चा करना चाहूँगा की बहुत से लोग मुझे क्यी बार कमेन्ट करते हैं और में खुद इस चीज को क्यी बार कह चुका हूँ।

सवाल पूछते है की शिव को गुरु बनाके साधना कर सकते हैं ?

मेरा उत्तर होगा हाँ भी और नहीं भी ।

पहले समझते है हाँ को : शिव जगत गुरु हैं परमेश्वर हैं महाकाल हैं और उन्हे आप गुरु बना सकते हैं तब जब आपको आध्यात्मिक ज्ञान चाहिए हो उनका आशीर्वाद चाहिए हो और किसी भी प्रकार की वैदिक साधना करना चाहते हो |

अब समझते हैं न को : शिव जगत गुरु है मंत्रों के जनक हैं परंतु उन्होंने खुद ही उन मंत्रों को गुप्त रखके कीलित कर दिया और इसका एक् वर्णन श्री सिद्ध कुंजिका स्त्रोत में भी मिलता हैं। जहां पर आदि देव आदि शक्ति से मंत्र को गुप्त रखने को कहते हैं, हर युग में सभी भगवानों के अवतारों ने भी गुरु दीक्षा ली हैं इसलिए गुरु का बहुत महत्तव हैं और गुरु वही हैं जो आपको सजीव रूप में मार्ग दर्शन करे और जब आप चाहे सही ज्ञान दे और चूक होने पे सही करने का मार्ग बताए । जो आपको स्वयं सिद्ध हुआ मंत्र और गुप्त ज्ञान दे जिससे आप तंत्र या मंत्र मे तेजी से आगे बड़े ।

सही शब्दों में समझे तो : जब आपको स्कूल में कुछ विषय से संबंधित पूछना होता हैं तो आप उस विषय से संबंधित गुरु के पास जाते हो या सीधे हेड मास्टर के पास ? याद रखिए गुरु के पास ज्ञान हैं , वो ज्ञान हैं जो गुप्त हैं और उसे आपको उनसे लेना हैं , उस गुप्त ज्ञान के अधीन देवता और देव हैं और उसे समाज के हित में छुपाने वाले आदि देव हैं , तो उन तक आपकी आवाज बहुत देर से जाएगी क्युकी उन्होंने कलयुग में अपने कार्य का जिम्मा अपना ही रूप श्री भैरव को सौंप दिया हैं और समाज के हित के लिए अंतर्ध्यान हो गए हैं। जब कोई भी ईश्वर अंतर्ध्यान होता है तो आपकी आवाज नहीं सुनेगा । लेकिन अगर आप खुद शिव का ही रूप भैरव को पुकारेंगे तो आपकी आवाज जल्दी सुन ली जाएगी जैसे माँ पार्वती के ही दूसरे रूप दस महाविध्या जल्दी सुन लेती हैं क्युकी उन्हे कलयुग का जिम्मा सौंपा गया हैं । चूंकि ये देवी देवता उग्र हैं तो इनकी सिद्धि के लिए आपको सिद्ध गुरु की जरूरत पड़ेगी । बाकी हर इंसान स्वतंत्र है उसे भला कौन रोकने वाला है ।

अब समझिए देवी देवता को खुश कैसे करें जिसका सही तरीका में नीचे समझा रहा हूँ

सिद्धि के देवी देवता का चुनाव

सबसे पहले अगर आप नॉर्मल पूजा करते हैं तो आपके इष्ट देव एक् ही होना चाहिए जो कभी भी बदलते नहीं हैं, परंतु अगर आप साधना कर रहे हैं तो जाहीर सी बात है की देवता या देवी बदल जाएगी लेकिन इसमें एक् साधना को करके ही आगे दूसरा देवता बदलना चाहिए , जो लोग यू ट्यूब पे विडिओ देखके अपना ईश्वर बदलते हैं वो सिर्फ भटकते ही रह जाते हैं , इसलिए इष्ट एक् हो और साधना में मनोकामना के लिए आप स्वतंत्र है।

साधना के लिए पात्रता

  1. आपका शरीर स्वस्थ और मन भी स्वस्थ हो
  2. नित्य क्रिया से शुद्ध होकर ही बैठे
  3. किसी भी प्रकार की चिंता का त्याग करना होगा
  4. ब्रह्मचर्य का पालन करना
  5. तामसिक भोजन न करना
  6. अपने गुरु की हर बात मानना
  7. माँ काली , दुर्गा , भैरव , काल भैरव , लक्ष्मी , अन्नपूर्णा आदि जो माइनस ऊर्जा बिन्दु के देवी देवता है पुरुषों की तुलना महिलाओ से जल्दी सिद्ध होते हैं।
  8. शिव, पार्वती , हाकिनी , रुद्र, गणेश जो प्लस ऊर्जा के प्रतीक हैं ये पुरुषों से जल्दी सिद्ध होते हैं।
  9. महिलाओं का भाव चक्र यानि विशुद्धि चक्र अधिक शक्ति शाली होता हैं इसलिए महिलाओं को सफलता बहुत सी साधना में जल्दी मिलती हैं ।
  10. बिना गुरु मंत्र के किसी भी बीज मंत्र और बीज अक्षर का जाप शास्त्रो के खिलाफ हैं, लेकिन किसी भी देवी देवता का जाप, पूजा, चालीसा, श्लोक, स्तुति, उसके नाम जाप से पूजा करने का हर कोई अधिकारी हैं, और कलयुग में नाम जाप ही सर्वोत्तम हैं।

साधना के लिए दिशा का चुनाव

  1. उत्तर की और मुख करके वैभव प्राप्ति की साधना करनी चाहिए जैसे लक्ष्मी कुबेर और माँ भुवणेश्वरी साधना
  2. माँ दुर्गा की साधना ईशान की और मुख करके करे
  3. भगवान विष्णु की साधना पूर्व की और मुख करके करे
  4. माँ काली की उपासना ईशान कोण के अंतिम भाग के मध्य में की जाती हैं , जो भी साधना करते हैं उसका मुख काली माँ के भाव पर होता हैं, जैसे अध्यात्म की सिद्धि के लिए नेत्रत्य कोण की और मुख करें , और काली की शक्ति चाहते हैं तो ईशान कोण की और मुख करे , माँ काली के रौद्र रूप की सिद्धि के लिए दक्षिण की और मुख करे ।
  5. काल भैरव , भैरव की सिद्धि के लिए दक्षिण मुख होना चाहिए
  6. शिव की साधन्ना नेत्रत्य बिन्दु पर करे
  7. भूत प्रेत और निम्न स्तर की साधना दक्षिण की और मुख करके करे
  8. हनुमान जी की सिद्धि प्राणायाम सिद्धि से और पूर्व दिशा की और मुख करके जल्दी प्राप्त होती हैं।
  9. शिवलिंग की साधना की दिशा उसके रंग पे निर्भर करती हैं जैसे श्याम रंग तो ईशान कोण और श्वेत रंग तो नेत्रत्य कोण की और मुख करें

साधना का समय

  1. भैरव , काली , यम, काल भैरव , महाकाली , दक्षिण काली, काली के 108 रूप और निम्न स्तर की जड़ साधना का समय अर्ध रात्री का हैं ।
  2. माँ दुर्गा की आराधना तीसरे पहर में करे और माँ लक्ष्मी की दूसरे प्रहर में करें।
  3. विष्णु , सूर्य , इन्द्र , हनुमान जी की साधना ब्रह्म समय में करे ।
  4. दोपहर को रौद्र रूप और भावों की सिद्धि करें।
  5. संध्या काल को ब्रह्म उपासना करें ।

साधना में मंत्र और सामग्री

साधना में मंत्रों और सामग्री का अपना और विशेष महत्त्व हैं , बिना इसके साधना अधूरी हैं और ये भावो और रूपों के अनुसार बदलती रहती हैं

निष्कर्ष

अंत में यही कहूँगा की ऊपर बताए अगर सारे नियमों का आप पालन करते है तो इसमें कोई शक नहीं की आपको सिद्धि न मिले , परंतु आजके समय में लोगों में धैर्य कम और ज्ञान ज्यादा हैं इसलिए आलस वश में वो सिर्फ मंत्र पड़ना चाहते हैं और वो भी ऐसा जो सिर्फ 10 सेकंड में सिद्ध हो जाए ,

इस बात को सोचकर हंसी भी आती है और दुख भी की जिस साधना सिद्धि के लिए हम सब तांत्रिक अघोर पंथ वाले रात दिन एक् कर देते हैं उसे आज के लोग कुछ मिनटों में चाहते हैं, ईश्वर उनका भला करें, क्युकी ऐसी सोच सिद्धि न मिलने पर सिर्फ नकारात्मक ही होती हैं ।

लेखक

ललित सिंह

संस्थापक

काली तत्त्व ज्ञान

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