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kundli विज्ञान :-

सावधान क्या आप भी हर 1 जगह दिखाते फिर रहे है अपनी Kundli यही इस ब्लॉग का विषय हैँ । kundli जो आपके ग्रहों का लेखा जोखा होता हैं और इसी kundli को देखकर कोई भी अस्ट्रालजर आपके बारे में आसानी से बता देता हैं । पर कैसे ? तो मेरा उत्तर होगा अपने ज्ञान से ? फिर से सवाल आता है कैसे ? तो उत्तर होगा kundli एक् सर्वे हैं और अस्ट्रालजी एक् विज्ञान , और इस विज्ञान को समझने वाला विज्ञानी यानि अस्ट्रालजर ।

अब हर इंसान की kundli एक् जैसी तो बिल्कुल नहीं होती हैं तो उसके उपचार भी एक् जैसे तो बिल्कुल नहीं होंगे । अब क्युकी उपचार एक् जैसे नहीं होते और सरल से कठिन भी होते हैं तो कितने दिन में और कैसे काम करेंगे ये कहना थोड़ा सा मुस्किल होगा। लेकिन ये उपाय भी सामने वाले के ऊपर ही निर्भर करते हैं, जैसे डॉक्टर और मरीज । अब डॉक्टर कितनी भी अच्छी दवायीं दे दे लेकिन अगर मरीज उसे खाए ही न या समय से न ले तो क्या वो ठीक होगा । उसी प्रकार से अस्ट्रालजर कितना भी kundli के बारे में बता दे परंतु जब सामने वाला उसे फॉलो ही न करे यानि उसका उपचार ही न करें तो कैसे संभव है की सभी कार्य ठीक से हो।

हर जगह kundli दिखाने से नुकसान :-

आपको पता है की कितने प्रकार के ऋण होते हैं ? जब भि इंसान जनम लेता है तो पांच प्रकार के ऋण से युक्त हो जाता है. ये ऋण हैं- मातृ ऋण, पितृ ऋण, देव ऋण, ऋषि ऋण और मनुष्य ऋण। यज्ञ के द्वारा देव ऋण,  श्राद्ध और तर्पण के द्वारा पीत्र ऋण, विद्या दान के द्वारा गुरु का ऋण, शिव अराधना से भूत ऋण से मुक्ति का साधन हमारे सास्त्रों में बताया गया है। लेकिन जब आप बार बार सबको अपनी kundli दिखाते हो तो ये ऋण आपके ऊपर चड़ जाता हैं जिसे गुरु ऋण कहते हैं। आजकल लोग सबको अपनी कुंडली शेयर करते रहते हैं खासकर यू ट्यूब पे तो बहुत ही हैं , नया कोई astrologer हो या नया विडिओ बनाने वाला तुरंत बिना सोचे समझे और पूछे अपनी कुंडली शेयर कर दी और चड़ा लिया गुरु ऋण ।

किसी भी इंसान को अपनी कुंडली फ्री में नहीं दिखानी चाहिए और ना ही किसी astrologer को अपनी kundli खुद से देखनी चाहिए । ऐसा करने से आप गुरु ऋण अपने ऊपर बड़ा रहे हैं जो कभी नहीं उतरेगा , इससे आपके सफलता के मौके धीरे धीरे कम होने लगते हैं। तो ऐसा बिल्कुल न करें।

लोगों में नहीं है बिल्कुल भी धैर्य :-

आजकल लोगों में बिल्कुल धैर्य नहीं हैं उन्हे हर काम हथेली पे चाहिए । मैंने कोई विडिओ बनायी और उसमे पूरी तरह से समझाया की कैसे करें क्या करें , पुरश्चरण कितना हो संकल्प कैसे ले , लेकिन फिर भी कमेन्ट आएंगे की बकवास बहुत करते हो मंत्र बताओ । अब बात ये आती हैं की जिस इंसान के अंदर 5 मिनट की विडिओ सुनने का समय नहि हैं वो मंत्र जानके भी क्या करेगा , क्युकी मंत्र करने और सिद्ध करने में तो बहुत समय लगेगा , ऐसे लोग अपनी जिंदगी से हमेशा ही परेशान रहते हैं और इसके कारण भी वो स्वयं ही हैं।

क्युकी उन्हे किसी भी चीज को अच्छे से नहीं सुनना हैं। वो तो कभी यहाँ कभी वहाँ पाए जाते हैं। और हर जगह ऐसे ही कमेन्ट करके भटकते रहते हैं। उन्हे आपके क्रिया से आपकी विधि से कोई मतलब नहीं हैं उन्हे तो मंत्र चाहिए सिर्फ , और उन्हे तो मंत्र से भी मतलब नहीं हैं क्युकी मंत्र के पीछे जो उनका व्यक्तिगत स्वार्थ हैं उससे मतलब हैं ताकि वो मंत्र पड़े और जो मंत्र से होता हो वो तुरंत हथेली पे उग जाए । ऐसे लोग क्या भगवान की भक्ति करेंगे , जहां पर ईश्वर कदम कदम पे आपके धैर्य की परीक्षा लेता हैं , प्राचीन काल से ऋषि मुनि बहुत घनघोर तपस्या करते थे तब जाके ईश्वर उन्हे वरदान देते थे ।

अरे क्यूँ सुने ईश्वर आपकी ? क्या किया आपने भगवान के लिए ऐसा ? पहले मीरा जैसी तड़प और सुरदाश जैसी भक्ति तो लाइये । आप भक्ति के मार्ग की पहली सीढ़ी यानि धैर्य को ही नहि समझ पा रहे हैं। मैंने विडिओ में कहाँ की इस मंत्र को अमावस्या , पूर्णिमा, होली, दिवाली किसी शुभ समय पे ही करना हैं , लेकिन अगर में विडिओ डालके एडिटिंग करना चालू करता हूँ की उतने में ही कमेन्ट आ जाएगा की मंत्र कहाँ हैं ? जैसे अभी पलथी लगाके मंत्र पड़ने बैठ जाएंगे । अरे श्रीमान आप थोड़ा धैर्य तो रखिए सब कुछ मिलेगा । मंत्र भी ईश्वर भी । अगर आपको विडिओ सुनने में धैर्य नहीं हैं तो आप ऐसी विडिओ खोलते ही क्यूँ हैं ,

आप शॉर्ट विडिओ देखिए जिसका ऑप्शन ही अलग हैं, आप इंस्टाग्राम रील्स देखिए वहाँ पे जिस्मों की नुमाइश आपको पसंद आती हैं । आपसे कहाँ होगा ये भक्ति और मंत्र , आपको तो कोई भी विधि नहीं करनी, न ही सामग्री रखनी हैं , न ही आसन बिछाना हैं और न ही हवं न पुरश्चरण करने हैं । आपको तो मंत्र चाहिए वो भी कौन सा पता हैं 10 सेकंड में अप्सरा और भगवान के दर्शन वाला। तो एक् चीज बता दूँ आपको, ऐसा कोई भी मंत्र इस पूरे ब्रह्मांड में अबतक बना ही नहीं न बनेगा , अभी तक आप उस रहस्य को नहीं समझे की भक्ति है क्या , निरंतर जब आप उस ईश्वर की याद में खोए रहते है और स्मरण करते रहते हैं तब उस ईश्वर को लगता हैं की ये मेरा शिष्य सबसे अलग हैं और जो मुझे चाहिए वो मुझे इसकी भक्ति में दिख रहा हैं।

साधना एक् तपस्या है और निरंतर चलने वाला क्रम जिसके खोज में लोग भटकते ही रहते हैं लेकिन जो इसे समझ गया की इसका हल तो मेरे अंदर ही हैं , जिसे धैर्य कहते हैं। और उस धैर्य के बाद पहला पड़ाव है आपकी काम वासना को रोकना जिसे हम मूलाधार चक्र कहते हैं , जब इससे निकलते है तब हम आगे सब कुछ साफ साफ देख पाते हैं। लेकिन इसको पार करने के लिए ही आपको समस्त भौतिक सुखों का त्याग करना पड़ेगा, अब ये आपके हाथ में है की आपको ईश्वर चाहिए या माया । आप अगर ईश्वर की कठिन तपस्या करते हो तो ईश्वर आपसे सबसे पहले माया को ही छीन लेगा और देखेगा की मेरा पुत्र या पुत्री विचलित हुई या नहीं । जैसे ही आप ईश्वर की भक्ति छोड़ोगे माया फिर से आप के पास आ जाएगी क्युकी आपका चयन बंद हो चुका होगा। लेकिन जो लोग भक्ति मार्ग पे चलते हैं और ये समझ जाते हैं उन्हे पहले ईश्वर मिलते है और फिर जहां ईश्वर है वहाँ माया स्वत: ही आ जाएगी , इतना भौतिक सुख मिलेगा की आपने कभी सोचा ही नहीं होगा . बाकी ये बाते सनातन धर्मी और ईश्वर को मानने वाले को ही समझ आएंगी मूर्खों को बिल्कुल नहीं

नमो नारायण

जय महाकाल

जय माँ बगलामुखी

लेखक

ललित सिंह

संस्थापक

काली तत्त्व ज्ञान

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