गुरु दीक्षा एक् शब्द जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता । Guru diksha kya hoti hai अपने आप में ये शब्द जितना छोटा हैं इसकी महिमा उतनी ही बड़ी हैं । गुरु दीक्षा का मतलब होता है की गुरु अपना ज्ञान अपने शिष्य को दे चाहे वो ज्ञान छोटा हो या बड़ा।इसको इस तरह से भी कह सकते है की जब गुरु अपने जप का अंश अपने साधक को प्रदान करता है तब ही इंसान की आध्यात्मिक तरक्की होती हैं। जिनके गुरु नहीं है वो इधर उधर भटकने से अच्छा एक् गुरु बनाए तो वो ये मार्ग जल्दी पा लेंगे । वैसे तो ये दीक्षा कभी भी ली जा सकती हैं , परंतु गुरु पूर्णिमा के दिन इसका विसेश महत्तव हैं । गुरु कहा मिलेंगे ये एक् हमेशा पूछे जाने वाला शब्द हैं । इसके लिए आपको सत्संग जाना चाहिए , वहा प्रभु की कृपा से आपको गुरु एक् न एक् दिन मिल जाएंगे । अगर कही से भी आपको गुरु मिले तो उन्हे अपना गुरु बना लीजिए चाहे वो आपसे थोड़े से पैसे ही क्यू न ले , क्युकी नहीं बनाके अपने मन से कोई भी साधना करने से अच्छा है की पैसे देके ज्ञान ले ले , क्युकी बिना गुरु के आपको सिर्फ निराशा और भूत प्रेत ही मिलेंगे , और कभी कभी तो ईश्वर की जगह पे छलावा या माया आ जाती है जिसे आप पहचान ही नहीं पाओगे । तो गुरु को पैसे देके दीक्षा ले ले फिर चाहे वो गुरु खराब ही क्यू न हो , क्युकी गुरु का काम ज्ञान देना है जो वो आपको दे देगा , बाकी उसके कर्मों का निर्धारण भगवान कर लेंगे । क्युकी साधना जो होती है वो आपको करनी है नाकी आपके गुरु को
Guru diksha kitne prakar ke hote hain / गुरु दीक्षा कितनी प्रकार की होते है??
शास्त्रों में गुरु दीक्षा के 3 प्रकार बताए गए हैं। जिसमे ब्रह्म दीक्षा मंत्र दीक्षा और शक्ति दीक्षा आती हैं ।
ब्रह्म दीक्षा में गुरु साधक को आदेश देकर ज्ञान देता है और उसे ईश्वर से मिलवाता हैं
शक्ति दीक्षा में गुरु पहले अपने साधक की परीक्षा लेता है और देखता है की वो पूरी तरह से समर्पित है की नहीं फिर अपने स्पर्श से अपने साधक को अपनी शक्ति प्रदान कर देता है । इसको शक्ति दीक्षा या वर दीक्षा या कृपा दीक्षा भी कहते हैं । गुरु सबसे पहले साधक को मंत्र दीक्षा से ही मार्ग दिखाते हैं उसके बाद उसके समर्पण त्याग भावना उसके संकल्प योग्यता भक्ति के बाद ही उसे दूसरी दीक्षा देते हैं।
Guru mantra kya hota hai / गुरु मंत्र क्या होता है ? गुरु मंत्र कैसे सिद्ध करे
गुरु जब साधक को गुरु मंत्र देता है तो पहले 4 मंत्र देता है ये उसका पहला चरण होता हैं
इनमे गुरु मंत्र , उस ईश्वर का मंत्र , उसके अंग रक्षक गणेश और भैरव मंत्र होता हैं
इसके बाद इसके बहुत पुरश्चरण होते है जैसे एक् से लेकर 36 शब्दों का शलोक
उसके बाद लाखों जाप
जब पूरा पुरश्चरण हो जाता हैं तब साधक गुरु से मिलता है और गुरु उसका रुद्राभिषेक करता है , जिसक बाद साधक को पूर्ण अभिषेक की उपाधि मिल जाती हैं
यही चीज 10 महाविध्या साधना में भी लागू होती हैं। जो साधक सभी दस महाविध्याओ का पुरश्चरण कर लेता है उसे पूर्ण राज्य अभिषेक की उपाधि मिल जाती हैं , ऐसा इंसान तीनों लोको पे विजय पाने वाला होता हैं।
गुरु दीक्षा के फायदे / Guru diksha ke fayde
इस शब्द के लिए पूरी किताब भी लिख सकता हूँ परंतु कम पड़ेगी , इसलिए इतना समझिए की गुरु के ज्ञान से साधक को अपने अंदर एक् ज्ञान की ज्योति दिखती है जिसके द्वारा वो अंधकार में से उस ईश्वर को खोज लेता है और उसे वास्तविकता का ज्ञान प्राप्त होता है की वो कौन है और क्यू इस धरती पे आया हैं ।
निष्कर्ष
अंत में यही कहूँगा की गुरु बनाए और आगे बड़े और इस दुनिया को हासिल कर ले
जिनके सवाल अभी भी वही हैं की गुरु कैसे मिले वो इसी सवाल में उलझे रहेंगे , उन्हे लगता है की अपने आप गुरु आएगा और कहेगा की उठो पुत्र में तुम्हारे तेज से बहुत खुश हहूँ क्युकी में इससे पहले भटक रहा था आज मैंने तुम्हें देखा तो लगा तुम्हें में अपनी सिद्धीय प्रदान करू
लेखक
ललित सिंह
संस्थापक
काली तत्व ज्ञान