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वीर साधना करने से पहले आपको ये जानना जरूरी है की veer sadhana में की वीर होते कौन हैं , क्युकी जब तक आप उस तत्त्व को जानेंगे नहीं की वो है कौन और किस लिए उसकी साधना कर रहे, वीर माँ काली और महादेव के गण होते हैं ये उग्र होते है और जल्दी प्रसन्न नहीं होते हैं। सभी वीरों की शक्ति एक् दूसरे से अलग होती है और अलग अलग कार्यों के लिए अलग अलग वीर से काम लेते हैं। कुल 52 प्रकार के वीर होते हैं ।

  1. छेत्रपाल वीर 2. बटुक वीर 3. कपिल वीर 4. भैरव वीर 5. गोपाल वीर 6. नरसिंह वीर 7. गरुड वीर 8. महाकाल वीर 9. काल वीर 10. स्वर्ण वीर 11. रक्त स्वर्ण वीर 12. देवसेन वीर 13. घंटापथ वीर 14. रुद्रवीर 15. तेरासंघ वीर 16. वरुण वीर 17. कंधर्व वीर

18.हंस वीर 19. लौनकड़िया वीर 20. वही वीर 21. प्रियमित्र वीर 22. कारु वीर 23. अदरस्य वीर 24. वल्लभ वीर 25. वज्र वीर

26. महाकाली वीर 27. महालाभ वीर 28. तुंगभद्र वीर 29. विध्या धर वीर 30. वैधनाथ वीर 31. घंटा कर्ण वीर 32. फाहे तक वीर

33. पित्र वीर 34. खड़ग वीर 35. विभिसन वीर 36. नागहस्त वीर 37. प्रदूमन वीर 38. स्मशान वीर 39. भरूदग वीर 40. काकेलकर वीर

41. कनफीलाभ वीर 42. असथीमुख वीर 43. रेतों वेध वीर 44. सौनक वीर 45. नकुल वीर 46. काल मुख 47. भूतभैरव वीर 48. पैसाच वीर

49. त्रिमूख वीर 50. डचक वीर 51. अत्तलाद वीर 52. वाशमित्र वीर

वीरों के विषय में सर्वप्रथम पृथ्वीराज रासो में उल्लेख पाया गया हैं, इन्हे देव या धर्म रक्षक भी कहा गया हैं। उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान पंजाब आदि क्यी प्रांतों में अन्य देवी देवताओ के साथ इनकी प्रतिमा पाई जाती हैं। राजस्थान में जाहर वीर नाहर वीर वीर तेजाजी महाराज के नाम से भी वीर पाए जाते हैं।

क्यी दिनों की घनघोर साधना के दौरान एक् टाइम ऐसा आता हैं जब माँ कालिका के दूत और गण जिन्हे वीर कहते हैं प्रकट होते हैं और साधक की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। वीर की साधना निर्जन जगह जंगलों में नदी के किनारे या फिर बंद कमरे में करनी चाहिए, चूंकि ये साधना उग्र और तंत्र की होती हैं तो अपने गुरु के दिशा निर्देश में ही करे । साधनाओ में वीर साधना का स्थान बहुत ऊंचा माना गया हैं, इनकी सिद्धि के बाद व्यक्ति प्रेत बाधाओ से पीड़ित व्यक्ति का इलाज आसानी से कर देता हैं। अगर वीर आपसे अधिक प्रसन्न है तो जो भाग्य में नहीं हैं वो भी देने की ये वीर सामर्थ्य रखते हैं। सभी वीर बहुत शक्तिशाली होते और इनकी सिद्धि के बाद साधक के पास दुर्लभ शक्तियां आ जाती हैं । वीर साधना सबसे जल्दी सिद्ध होती है पर साधक के पास आत्मविस्वास होना बहुत जरूरी हैं। वीर साधक के साथ हमेशा अदृश्य रूप में रहते हैं।

वीर वास्तव में एक शमशान की शक्ति है,जो बड़ी उग्र एवम् शक्तिशाली होति हैं। कुछ दिनों की कठिन शमशानी क्रिया के द्वारा इसे सिद्ध किया जाता है। इसे ‘शमशान का मुर्दा’ भी कहते है,जिसमें प्राण फूंक कर साधक इसे अपने अधीन कर लेता है। जिसके बाद आजीवन ये साधक के लिए एक दास की तरह काम करते हैं।

वीर साधना के जरूरी नियम

  • तंत्र और खासकर वीर की साधनाएँ बिना गुरु के कभी नहीं की जाती हैं।
  • वीर साधना में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना और ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत जरूरी होता है।
  • वीर साधना में स्वयं के हाथों से बना भोजन ही ग्रहण किया जाता है।
  • वीर साधना में चमड़ा या उससे बने सामानों का उपयोग करना पूरी तरह वर्जित होता है।
  • वीर साधना के दौरान मांस, मदिरा व किसी भी तरह का नशा करना पूर्ण रूप से वर्जित माना जाता है।

ऊपर दिए सभी नियमों का सही से पालन करे और इनमे से किसी का कोई भी अन्य विकल्प नहीं हैं । सभी बातों को माननें वाला ही सर्वदा हितकर और श्रेष्ठ साधक होता है।

लेखक

ललित सिंह

संस्थापक

काली तत्त्व ज्ञान

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