Bhairavi sadhana
जय माँ बगलामुखी , प्रिय मित्रों आज में आपको एक रहस्यमय बात बताने जा रहा हूँ। जिसका जिक्र कोई नहीं करता है या बहुत कम सुनने को मिलता हैं क्युकी सही तरीके से या तो किसी को पता नहीं हैं या बताना नहीं चाहता हैं क्युकी ये एक् गुप्त विध्या हैं या यू कहे की एक् ऐसा ब्रह्म शस्त्र जिसे चलाने पर खाली नहीं जाता हैं।
इसलिए ही लोग इसे गुप्त रखते हैं , तो इस गुप्त ज्ञान का नाम है Bhairavi Sadhana । जो अपने आपमे पूर्ण है और क्या क्या दे सकती है जिसकी आप और में या कोई कल्पना भी नहीं कर सकता हैं। एक् शब्दों में कहूँ तो ऐसी कोई चीज इस पूरे संसार में नहीं बनी जो ये साधना न कर सके ।
भैरवी साधना 2 प्रकार से की जाती हैं 1. शमशान में जलती चिताओ के पास बदल बदल के 2. सुनसान जगह पे
पर क्या आपको पता हैं एक् और तरीका, की आप इसे घर पे भी कर सकते हैं। जी हाँ अगर आपने किसी योग्य गुरु को पकड़ लिया जो आपको ये साधना करा दे तो समझ लो बदल गई आपकी किस्मत । और अगर आप ये ब्लॉग पड़ रहे हैं तो आप भाग्यशाली हैं। में अभी इसकी दीक्षा नहीं देता हूँ न दे रहा हूँ , क्युकी मुझे कोई योग्य शिष्य या शिष्या नहीं मिली, जब होगा तब में देख समझ के जरूर दूंगा ।
मेरे साथ इस साधना का या क्यी साधना में ऐसे अनुभव है की में अब दीक्षा ही नहीं देता हूँ , ना तो लोग बात सुनते हैं न उसका पालन करते हैं ,परिणाम स्वरूप उस शक्ति के क्रोध का सामना मुझे करना पड़ता हैं साथ ही पाप लगता हैं वो अलग से। इसके बारे में एक् ब्लॉग में विस्तार से लिखूँगा ।
Bhairavi sadhana in hindi
भैरवी साधना में सफलता के लिए 2 तरीके हैं 1. अपने पति या पत्नी के साथ करे 2. अपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ करे । ये साधना नग्न होकर की जाती हैं लेकिन दोनों ही विधि में बिना गुरु के असंभव हैं, क्युकी ये अति उग्र साधना हैं । भैरवी हिंदुओं की एक देवी हैं जो दशमहाविद्याओं में से एक मानी गई हैं। कुछ ग्रन्थों में वह त्रिमूर्ति से भी श्रेष्ठतर कही जाती हैं। वें माता पार्वती की अवतार और भगवान शिव के भैरवनाथ अवतार की शक्ति या पत्नी मानी गई हैं।
शक्ति पुराण में काल को नियंत्रित करने वाली को ही भैरवी माना गया हैं। और माँ काली भी काल को नियंत्रित करती हैं तो दोनों ही एक् हैं , लेकिन इसका ये मतलब नहीं की काली तो माँ है तो लगे साधना करने । सर्व प्रथम ये जानिए की किस देव या देवी की ऊत – पत्ती क्यू की गई हैं, और उनका स्वभाव क्या हैं, और तंत्र में गुरु का महत्त्व क्यू हैं ? तंत्र एक् आग हैं इसे सिर्फ देखने के लिए न खेले। फिर भी अपने आपको ज्यादा समझदार समझने वाले कर सकते हैं इसके लिए वो स्वयं अपनी दुर्गति के जिम्मेदार होंगे ।
इस साधना को सिद्ध करने के बाद माँ मनचाहा वरदान देती हैं और ऐसा साधक ब्रह्मांड का ज्ञाता और त्रिकाल दर्शी हो जाता हैं , ये साधना घर पे कैसे की जाए और बिना पार्टनर के कैसे की जाए इसका ज्ञान में सिर्फ अपने साधक को दूंगा दीक्षा के रूप में और में इस साधना का कोई पैसे नहीं लेता हूँ , इसी कारण से परीक्षा भी कठिन लेता हूँ । यहाँ पे कैसे की जाए इसके बारे में नीचे में बता रहा हूँ ।
भैरवी साधना की विधि | Bhairavi sadhana ki vidhi
चूंकि भैरवी साधना नग्न साधना हैं तो इस साधना में ये भी सिद्ध हो जाता हैं की स्त्री या पुरुष केवल वासना के लिए नहीं बने हैं बल्कि सत्य का एक् उद्गम स्थान हैं । भैरवी साधना दसमहाविद्या में माता भैरवी और भैरव भगवान शिव और पार्वती के रूप होते हैं अर्थात भगवान शिव के भैरव और पार्वती के भैरवी रूप की साधना ही भैरवी साधना कहलाती है। भैरवी साधना में नग्न यानि निर्वस्त्र होकर शरीर में छुपी उस वासना को बाहर निकाला जाता हैं ।
1. भैरवी साधना का पहला चरण और विधि : भैरवी साधना के पहले चरण में स्त्री पुरुष जो भी साधक हैं उनको एकांत और सुगंधित वातावरण में निर्वस्त्र होकर आमने-सामने कम से कम 3 फुट की दूरी पर सुखासन या पद्मासन लगाकर बैठना होगा और एक दूसरे की ओर आंखों में देखते हुए मंत्र जाप करना होगा .इस प्रथम चरण की साधना के दौरान साधक के अंदर धीरे धीरे निरंतर काम भाव ऊर्ध्वगामी होकर दिव्य ऊर्जा के रूप में सहस्त्रदल का भेदन करने लगता हैं ।
2. भैरवी साधना का दूसरा चरण और विधि : भैरवी साधना के दूसरे चरण में स्त्री पुरुष जो साधक हैं एक दूसरे के करीब आकर अंग प्रत्यंगो को स्पर्श करते हुए उत्तेजित काम भावना को स्थाई बनाने का प्रयास करते हैं।साधना के दौरान बीच-बीच में मंत्रों का उच्चारण करते रहने से कामोत्तेजना की बाहरी क्रियाओं को कम करने का काम भी करना होता है परंतु काम उत्तेजना के दौरान स्खलन होने को रोकते हुए आत्म संयम बनाए रखना भी जरूरी हैं।
3. भैरवी साधना का अंतिम चरण और विधि :
भैरवी साधना के अंतिम चरण में साधक स्त्री या पुरुष परस्पर संभोग की क्रिया करते रहते हैं परंतु समान भाव समान श्रद्धा और उत्साह तथा संयम से शारीरिक भूख के विरुद्ध साधना भी करते रहते हैं। साधना के दौरान जब संभोग क्रिया कर रहे होते हैं तो आप संयम जरूर रखे या रखते हुए प्रयास करें कि दोनों का स्खलन एक साथ हो यदि एक साथ नहीं हो रहा है तो लगभग एक साथ संपन्न हो ऐसा प्रयाश जरूर करे ।
निष्कर्ष :
इस साधना को गुरु के मार्ग दर्शन में नवरात्रि में करे नहीं तो ये साधना शुक्ल पक्ष के सोमवार या शुक्रवार से रात्री 9 बजे के बाद से भी प्रारंभ की जा सकती हैं । साधना के समय लाल आसन पे पूर्व की और मुख करके बैठे । इस साधना में मंत्र विनयोग बहुत जरूरी हैं ।
bhairavi sadhana सिद्ध हो जाने के बाद साधक त्रिकालदर्शी की तरह ब्रह्मांड का ज्ञाता बन जाता है और ब्रह्मांड में विचरने वाले सभी प्रकार के मंत्र उसे अपने आप सुनाई देने लगते हैं दिव्य प्रकाश दिखाई देने लगता है और साधक आजीवन कामवासना से मुक्त हो जाता है मन स्थिर होकर शांत हो जाता है तथा चेहरे पर एक अलौकिक तेज दिखाई देने लगता है .
भैरवी-साधना सिद्ध होे जाने पर साधक को ब्रह्माण्ड में गूँज रहे दिव्य मंत्र सुनायी देते हैं. दिव्य प्रकाश दिखने लग जाता है तथा साधक के मन में दीर्घ अवधि तक काम-वासना जागृत होने का नाम नहीं लेती हैं । साथ ही उसका मन शान्त व स्थिर हो चुका होता है तथा उसके चेहरे पर एक अलौकिक आभा झलकती हैं और उसके तेज को आप न सहन कर पाएंगे न देख पाएंगे ।
लेखक
ललित सिंह
संस्थापक
काली तत्त्व ज्ञान
Guruji 🙏
Kya bhairvi sadhna istri ke bina ki ja sakti h
Mujhhe ye shadhna krni..Bina purush ke..to kaise ki jaa sakti sir
Not Possible
Ghar me ye Sadhana akeli lady kar sakti Hai kya
Nahi
Aapne apne lekh me likhaa hai Bina partner ke bataauga ki kaise hogi ..to vhi jaankaari chahiye
Maine ye Bhi likha hai ki mein abhi diksha nahi deta hu